Friday, April 26, 2024
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प्रधानमंत्री पद की दौड़ थोड़ी रोककर नितीश और केजरीवाल अपने प्रदेशों की जनता पर ध्यान देंगे ?

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अरविन्द केजरीवाल को दिल्ली और नितीश कुमार को बिहार की जनता ने विधानसभा चुनावों में सीटों के रूप में बहुत बड़ा समर्थन दिया | इन दोनों के पास अपने अपने प्रदेशों में इतने ज्यादा विधायक हैं कि यदि ये चाहें तो अपने प्रदेशों के एक बड़े हिस्से में बिना यह सब बहाने बनाए कि वहां हमारा विधायक नहीं है, विकास कर सकते हैं एवं जन समस्याएं सुलझा सकते हैं | परन्तु प्रधानमंत्री पद की दौड़ की वजह से लगता है कि ये अपने प्रदेशों की जनता को भूल ही गए हैं |

बिहार में लगातार जंगलराज बढ़ता जा रहा है | अन्य जन समस्याएं सुलझ रहीं हों ऐसा भी कोई समाचार नहीं आ रहा है | आये दिन सत्तारूढ़ दलों के नेता एवं उनके परिवार के सदस्यों द्वारा ही जंगलराज बढ़ाने में किये गए योगदान की ख़बरें आती रहती हैं | यदि इन के नेता ही जंगलराज बढ़ाएंगे तो अन्य अपराधी क्यों प्रदेश सरकार से डरेंगे ? ऐसे में नितीश कुमार अलग अलग प्रदेशों में भाजपा एवं संघ पर जुबानी हमले करते हुए पाये जाते हैं | यदि बिहार में कोई योग्य एवं अनुभवी उपमुख्यमंत्री होते तो शायद वही नितीश कुमार की अनुपस्थिती में बिहार को सम्भाल लेते लेकिन बिहार के उपमुखयमंत्री अभी अनुभवी नहीं हैं और उनकी योग्यता के बारे में सभी जानते हैं | अब यदि नितीश कुमार सच में बिहार का कुछ भला चाहते हों तो या तो वो पहले अपने मुख्य्मंत्री पद की जिम्मेदारी संभालें और जनता को इस संकट से बचाएँ या फिर इस पद से इस्तीफ़ा देकर किसी योग्य व्यक्ति को यह पद दें एवं खुद अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं | लेकिन वो ऐसा करेंगे नहीं क्योंकि यदि उनमें मुख्यमंत्री पद का लोभ नहीं होता तो वो आर जे डी के साथ गठबंधन ही नहीं करते | शायद ही कोई होगा जो यह नहीं जनता होगा कि यदि आर जे डी सत्ता में रहेगी तो फिर कानून व्यवस्था चौपट रहेगी और जंगलराज पिछली बार की तरह बढ़ता ही रहेगा | खैर नितीश कुमार शायद अभी यह बात समझ नहीं रहे हैं कि वो जातिवाद के नाम पर शायद अगला लोकसभा चुनाव भी बिहार में जीत जाएं लेकिन उनके ये जातीय समीकरण उनको लोकसभा चुनाव में इतनी सीट नहीं दिला पाएंगे कि वो प्रधानमंत्री बन जाएं |

अब बात करते हैं अरविन्द केजरीवाल की | इन्होने दिल्ली छोड़कर कर अन्य भाजपा शासित प्रदेशों की समस्याओं पर बोलने की जिम्मेदारी ली हुई है | ये आएदिन सोशल साइट्स एवं मीडिया में दूसरे प्रदेशों के मामलों पर अपनी राय व्यक्त करते हुए मिल जायेंगे लेकिन दिल्ली पर कोई भी सवाल पूछो तो जवाब वही रहेगा कि केंद्र सरकार काम नहीं करने दे रही | दिल्ली में कई क्षेत्रों में पानी की भारी कमी है लेकिन सिर्फ सुर्ख़ियों में बने रहने के लिए ये महाराष्ट्र को पानी देने की भी बात कर देते हैं | वैसे ही दिल्ली में पानी की कमी है ऐसे में यदि जो पानी है उसे भी महाराष्ट्र भेज दिया तो कुछ दिन बाद लातूर जैसा संकट दिल्ली में हो जायेगा | लेकिन इनको इस से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि दिल्ली में इनके पास इतनी सीट हैं कि इनकी सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर ही लेगी | लोकपाल बिल का भी पता नहीं कहाँ गया और न ही शीला दीक्षित के खिलाफ सबूतों वाली फाइल का अब तक कुछ पता चला की वो कहाँ है | फिलहाल ये मोदी जी की शिक्षा कितनी है उस बहस में व्यस्त हैं | शायद अब दिल्ली की जनता भी यही सोच के हैरान है कि ये हमारे मुख्यमंत्री हैं या भाजपा शाषित राज्यों के क्योंकि दिन भर ये भाजपा सरकारों पर ही जुबानी हमले करते रहते हैं | ये बात अलग है कि इनके पास गैर-भाजपा सरकारों पर टिप्पणी करने का समय नहीं है |

खैर मुझे लगता नहीं कि इन दोनों मुख्यमंत्रियों के पास अगले लोकसभा चुनाव तक अपने प्रदेशों की जनता की समस्यायों को सुलझाने का समय रहने वाला है क्योंकि ये दोनों ही अगले लोकसभा चुनाव के लिए अभी से ही प्रधानमंत्री पद की दौड़ में लगे हुए हैं |

इन दोनों प्रदेशों की जनता भी अब कुछ नहीं कर सकती क्योंकि इन दोनों के पास स्पष्ट बहुमत है और ये दोनों सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेंगी ही | हाँ, लेकिन अगले लोकसभा चुनावों में जनता के पास मौका होगा इनको ये बताने का कि हम आप के काम से कितना खुश हैं और कितना नाराज | देखते हैं अगले लोकसभा चुनाव में कौन प्रधानमंत्री पद की दौड़ में प्रथम आता है और कौन चित होता है |

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Varun Shrivastava
Varun Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
He is a founder member and a writer in SarthakChintan.com.
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