Saturday, April 27, 2024
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सिर्फ नियमों की अनदेखी या कोरोना जिहाद, न्यायालय एवं सरकार इसे क्या मानेंगे ?

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हो सकता है कि आप को मेरे इस लेख के शीर्षक से आपत्ति हो परन्तु यह शीर्षक लिखने के लिए मेरे पास पर्याप्त कारण हैं | जिस तरह से कोरोना जैसी महाविपत्ति के समय इस वर्ग विशेष की प्रतिक्रिया रही है वो संदेह पैदा करने के लिए काफी है | चाहे वो दूसरे देशों से आने पर हवाईअड्डों पर स्वास्थ्य जांच का विरोध करना हो, चाहे सेनेटाईजर को इस्लाम में हराम बताकर उस का उपयोग न करना हो और साथ ही अन्य मुसलमानों को भी इस के विरोध में भड़काने का प्रयास हो, चाहे कोरोना को महामारी मानने की जगह उसे भारत सरकार का मुद्दों से भटकाना बताकर राजनीतिकरण करना हो, चाहे कोरोना से पैदा हुए हालातों में सावधानी बरतने की जगह सब कुछ अल्लाह पर छोड़कर सभी नियमों की अनदेखी करने के लिए लोगों को भड़काना हो, चाहे सरकारों के मना करने के बाद भी सार्वजनिक स्थानों पर समूह में नमाज़ पड़ना हो, चाहे तब्लीगी जमात की वो सार्वजनिक सभाएं हों, चाहे तब्लीगी जमात के लोगों का इस सभा के बाद अन्य सार्वजनिक स्थानों पर निर्दोष जनता के बीच मिलना और घूमना हो, चाहे इस सभा के आयोजन और सभा में शामिल हुए लोगों की जानकारी छुपाना और लोगों को छुपाना हो, चाहे इन का गाजियाबाद में आइसोलेशन सेण्टर में स्वास्थ्य कर्मियों पर थूकना और महिला कर्मियों के सामने बिना पेंट/पजामे के घूमना और अश्लील व्यवहार करना हो, चाहे तब्लीगी जमात की इन हरकतों की निंदा करने की जगह उनका बचाव करना एवं जमात का विरोध करने वाली सरकार, सरकारी अधिकारी, जनता एवं पत्रकारों को ही सम्प्रदायिक कहना हो, चाहे कोरोना की जांच के लिए गयी स्वास्थ्य विभाग की टीमों पर जानलेवा पथराव किया जाना हो, चाहे सोशल साइट्स पर उपलब्ध वो कई ऐसी वीडियो और पोस्ट हों जहाँ यह कहा जा रहा है कि कोरोना से मुसलमानों को डरने की आवश्यकता नहीं है और यह तो अल्लाह का काफिरों पर कहर है अतः अल्लाह के इस कहर में काफिरों को कोरोना से संक्रमित कर के उनका साथ दें (कई ऐसे वीडियो और पोस्ट सोशल साइट्स पर उपलब्ध हैं और उन में से कुछ लोगों की पहचान होने के बाद उनके खिलाफ कार्यवाही भी हुई है) | ऐसे कई अन्य उदाहरण भी हैं जिन से यह तो साफ़ है कि यह खेल सिर्फ शिक्षा के अभाव या गरीबी का नहीं है | यह तो नहीं कहा जा सकता कि इस कोरोना जिहाद में सभी मुसलमान शामिल हैं परन्तु यह भी सच है कि मुसलमानों के इतने बड़े वर्ग ने इस तरह की हरकतें और बयानबाजी की है कि इसे कोरोना जिहाद कहा जाना गलत नहीं है | यही सिर्फ पिछले कुछ समय की ही बात करें तो चाहे CAA हो, NRC हो, NPR हो, ट्रिपल तलाक हो, राम मंदिर का निर्णय हो, वन्दे मातरम हो या अन्य कई इसी तरह के मुद्दे हों, कई मुस्लिम धर्म गुरुओं, नेताओं, पत्रकारों, एक्टिविस्ट एवं इनके समर्थकों की प्रतिक्रिया नकारात्मक ही रही है और इन सब विरोधों में बयानबाजी एवं नारेबाजी सिर्फ इन मुद्दों के खिलाफ नहीं हुई, इन में भी हिन्दू विरोध, इस्लामिक कटटरपंथ एवं गजवा-ए-हिन्द की भावना के खुले प्रदर्शन का कोई मौका नहीं छोड़ा गया |

यह लड़ाई सिर्फ कोरोना वायरस के खिलाफ नहीं है बल्कि समाज में छुपे हुए और खुद को तथाकथित सेकुलरिज्म की आड़ में बचाने का प्रयास कर रहे इन जिहादियों से भी है | कट्टरपंथी मौलानाओं की 72 हूर जैसी मनोहर कहानियों की वजह से ये लोग अपना जीवन तो संकट में डालेंगे ही और खुद को बर्बाद करते समय अपने साथ न जाने कितने निर्दोषों का जीवन संकट में डाल देंगे | इन से सुधरने की आशा करना बेवकूफी है | सरकार और न्यायालय दोनों को ही नियमों की अनदेखी और जिहाद का अंतर समझना होगा क्योंकि इस देश का कानून ही कुछ ऐसा है कि इन में सिर्फ किसी एक से मानने से ज्यादा कुछ नहीं होगा क्योंकि दूसरा इनके साथ नरमी बरत सकता है |

पिछले कुछ दिनों में अचानक से कोरोना के केस कितनी तेज़ी से बड़े हैं और तब्लीगी जमात का उस में क्या योगदान है यह आप सभी को पता ही है | नियमों की अनदेखी की जगह इसे क्यों न योजनाबद्ध जिहाद कहा जाए ? क्यों एक वर्ग विशेष की वजह से सारी जनता संकट झेले ? यहाँ मैं कुछ उन लोगों का भी जिक्र करूँगा जिन्होंने खुद को VVIP मानते हुए नियमों का पालन नहीं किया और न जाने कितने लोगों का जीवन संकट में डाला | दोनों ही केस में यह सिर्फ सरकारी नियमों की अनदेखी का कोई मामूली मामला नहीं है | यहाँ जानबूझकर, सब समझते हुए भी कई मासूमों निर्दोषों का जीवन संकट में डाला गया है | ऐसे सभी लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए | अब किस केस को योजनाबद्ध जिहाद मानकर कार्यवाही करनी है और किस केस में जानबूझकर निर्दोष लोगों का जीवन संकट में डालने पर होने वाली कार्यवाही करनी है, यह अधिकार तो सरकार एवं न्यायालय के पास है, लेकिन मेरी राय में समस्या को जब तक उस की सही केटेगरी में नहीं डाला जायेगा तब तक उस का उचित इलाज़ संभव नहीं है | जो जिस केटेगरी का केस है उसे उसी में रख के कार्यवाही हो तो बेहतर होगा और भविष्य के लिए एक उदाहरण बनेगा | यह न तो एकतरफा चुनावी सेकुलरिज्म दिखाने का समय है और न ही अपने चहेते तथाकथित VVIP लोगों को बचाने का | संकट की स्थिति में पूरा विश्व है और सवाल सभी की सुरक्षा का है, दूसरों के जीवन को संकट में डालने वाले हर एक व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्यवाही होनी ही चाहिए और हर एक ऐसे मामले में कार्यवाही का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया जाना चाहिए कि भविष्य में लोग इस तरह की जानलेवा हरकतें करने से डरे |

भारत सरकार ने कोरोना को फैलने से रोकने के लिए कई अतिआवश्यक कदम उठाये हैं और काफी प्रयास किया है कि भारत में कोरोना अन्य देशों की भांति विकराल रूप न ले पाए | जनता से भी समय समय पर इस मुहिम में साथ देने एवं आवश्यक सावधानी बरतने के लिए निवेदन किया | जब लगा कि जनता का एक हिस्सा इस विषय के प्रति गंभीर नहीं है और सावधानी नहीं बरत रहा है तो पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा भी की | स्वास्थ्य एवं सफाई सम्बंधित विभागों से भी उपलब्ध साधनों के अनुसार को भी कुछ किया जा सकता है, कई स्थानों पर किया भी जा रहा है | हालाँकि मैं यह भी नहीं कहूंगा कि ऐसा इस देश में सभी स्थानों पर उचित तरीके से हो रहा है, क्योंकि कुछ लोग अभी भी इस को एक राजनैतिक मौके की तरह भी देख रहे हैं और आगे आने वाले चुनावों में इस मुद्दे का उपयोग भी करेंगे ही, और कुछ अन्य स्थानों पर या तो जनता की गंभीरता की कमी या फिर सरकारी अधिकारियों की लापरवाही या फिर सरकारों की कमजोरी या उचित निर्णय लेने की नियत या क्षमता के अभाव की वजह से आये दिन कुछ न कुछ गलतियां हो रही हैं और उनके बुरे नतीजे भी सामने आ रहे हैं | आशा करता हूँ कि आने वाले समय में सरकार, नेता, सरकारी अधिकारी एवं जनता सभी लोग अपने अपने उत्तरदायित्व को समझेंगे, आवश्यक सावधानी बरतेंगे और ध्यान रखेंगे कि उनकी गलतियों का परिणाम निर्दोषों को न भुगतना पड़े और जो लोग जानबूझकर दूसरों का जीवन संकट में डालेंगे, सरकार उन के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करेगी | कोरोना वायरस पर तभी भारत में नियंत्रण किया जा सकता है |

(फोटो साभार – Opindia.com , naiduniya.com)

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Varun Shrivastava
Varun Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
He is a founder member and a writer in SarthakChintan.com.
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