Saturday, April 20, 2024
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अल्पसंख्यक महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों पर सेक्युलर जमात की चुप्पी क्यों ?

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वैसे तो इस देश की तथाकथित सेक्युलर जमात ने अल्पसंख्यकों की भलाई की बात करने एवं उन पर होने वाले तथाकथित अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने का ठेका लिया हुआ है | कहीं भी किसी आपराधिक घटना में यदि अल्पसंख्यक को असुरक्षित साबित करने का और हिन्दुओं को सांप्रदायिक साबित करने का मौका हो तो सारी सेक्युलर जमात हमेशा तुरंत सक्रिय हो जाती है और इस तरह छाती पीटने लगती है जैसे कि अल्पसंख्यकों का इनसे बड़ा कोई हमदर्द है ही नहीं | परन्तु जब भी कभी बात अल्पसंख्यक महिलाओं के अधिकारों की हो और उन पर उन्हीं के समाज के पुरुष वर्ग द्वारा किये जा रहे अत्याचार के खिलाफ वो मदद मांगती हैं तो इस पूरी सेक्युलर जमात में एक सन्नाटा छा जाता है | यदि कोई भी संगठन या पार्टी इन मामलों में अल्पसंख्यक महिलाओं का समर्थन करने एवं साथ देने की कोशिश करता है तो उसे यह सेक्युलर जमात सांप्रदायिक साबित कर देती है और उसका विरोध करने लगती है | आखिर अल्पसंख्यक महिलाओं एवं पुरुषों में यह भेदभाव क्यों ? या तो सेक्युलर जमात खुलकर कह दे कि वो सिर्फ और सिर्फ अल्पसंख्यक पुरुषों की ठेकेदार है न कि सभी अल्पसंख्यों की और या फिर यह कह दे कि ये सब सिर्फ वोटबैंक का ड्रामा है और जिनका समर्थन करने से ज्यादा वोट मिलेंगे बस उनका करेंगे |

ऐसा एक बार नहीं बल्कि बार बार हुआ है | चाहे वो राजीव गाँधी के समय का शाहबानो मामला हो, चाहे वो अभी हाल ही में ट्रिपल तलाक के खिलाफ चलायी गयी मुहिम का मामला हो, चाहे वो हलाला जैसी कुप्रथा के खिलाफ मुहिम का मामला हो या फिर अभी केरल में ईसाई नन के साथ हुए शारीरिक शोषण का मामला हो | ऐसे कई मामले हैं | इन सभी मामलों में सेक्युलर जमात ने अल्पसंख्यक महिलाओं का साथ देने की जगह या तो चुप्पी साध ली या फिर खुले तौर पर इन पर अत्याचार कर रहे अल्पसंख्यक पुरुष वर्ग का साथ दिया | हर बार वही सब घिसी पिटी दलीलें कि हमें अल्पसंख्यक धर्मों के आतंरिक मामलों में नहीं बोलना चाहिए | जबकि पीड़ित महिलाएं अपने ऊपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ सड़क और न्यायालयों में उतर आयीं तब भी ये सेक्युलर लोग इनके समर्थन में आगे नहीं आये | हालाँकि यहाँ जिस तरह अब तक भाजपा एवं केंद्र सरकार ने इन महिलाओं का समर्थन किया है वो तारीफ के काबिल है और साथ ही उन तथाकथित सेक्युलरों के मुंह पर एक तमाचा है जो मीडिया में, चुनावी भाषण में, लेखन में और अन्य सभी जगह आमतौर पर अल्पसंख्यकों एवं महिला सशक्तिकरण की बड़ी बड़ी बातें करते हैं परन्तु जब वास्तविक जीवन में अल्पसंख्यक महिलाओं को इनकी सहायता एवं समर्थन की आवश्यकता होती है तब ये लोग उनकी पीठ में खंजर मार देते हैं |

देश की सेक्युलर जमात ने अल्पसंख्यक पुरुषों को तो खुलकर सन्देश दिया है कि आप बस हमें अपना वोट और समर्थन देते रहो बाकि तुम्हारे सारे गलत कामों पर हम चुप्पी साधकर अंधे बने रहेंगे और एक सन्देश अल्पसंख्यक महिलाओं को भी दिया है कि उन महिलाओं को इस देश की सेक्युलर जमात से किसी भी तरह के न्याय की उम्मीद नहीं करनी चाहिए | ये लोग कभी भी अल्पसंख्यक पुरुष वर्ग के खिलाफ जाकर महिलाओं की कोई सहायता नहीं करने वाले | फैसला अब अल्पसंख्यक महिलाओं को करना है कि क्या वो अब भी धर्म के नाम पर ऐसे धोखेबाजों को वोट देकर और ज्यादा मजबूत करतीं रहेंगी या फिर एक होकर चुनाव में इनके खिलाफ वोट देकर इनको मुंहतोड़ जवाब देंगी और खुला सन्देश देंगी कि हमारा वोट चाहिए तो हमारे हित का भी काम करो | आने वाला समय ही बताएगा कि अल्पसंख्यक महिलाएं अपने हित के लिए अपने वोट देने का तरीका बदलेंगी या नहीं | बिना तरीका बदले उनकी स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आने वाला |

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Varun Shrivastava
Varun Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
He is a founder member and a writer in SarthakChintan.com.
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