Saturday, May 4, 2024
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गरीबी के नाम पर आतंकियों का बचाव बंद करे मीडिया | गरीब तो अब्दुल कलाम भी थे |

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जैसे ही देश आतंकवाद और आतंकवादियों के खिलाफ एक जुट होकर आवाज उठाने लगता है तथा सरकार एवं सेना उचित कार्रवाही शुरू करती है, कई मीडिया के लोग रोज नयी नयी भावुक कथाएं लेकर आ जाते हैं जिनमें कि आतंकियों को गरीब, मासूम, मजबूर, लाचार, भटके हुए नौजवान आदि सम्बोधन दिए जाने लगते हैं |

पहली बात तो यह कि यदि गरीबी ही लोगों को आतंकवादी बनाती है तो फिर तो इस देश में कई गरीब लोग हैं | वो सब अब तक आतंकवादी क्यों नहीं बने ? अब्दुल कलाम भी गरीब थे और मुस्लिम भी थे, वो आतंकवादी बनने की जगह एक महान वैज्ञानिक तथा राष्ट्रभक्त इंसान कैसे बन गए ?

गरीबी, लाचारी अपनी जगह है और देशभक्ति तथा देशद्रोह अपनी जगह | किसी भी हाल में किसी आतंकवादी को मासूम नहीं कहा जा सकता | जो व्यक्ति कई मासूम लोगों की जान लेने के षड्यंत्र में शामिल हो सकता है, मासूम लोगों की निर्मम हत्या का वीडियो बना सकता है, महिलाओं एवं बच्चों पर अत्याचार कर सकता है, देशद्रोह कर सकता है वो मासूम कैसे हो सकता है ?

आतंकवादियों ने पिछले कुछ सालों में जिस तरह से क्रूरता एवं राक्षसी प्रवृत्ति की सारी हदें पार की हैं वो कोई मासूम इंसान तो नहीं कर सकता | चिंता की बात यह है कि कई नौजवान इन आतंकी संगठनों से प्रभावित होकर इन से जुड़ रहे हैं | इस समय मीडिया का काम तो यह होना चाहिए था कि ये लोग इन आतंकी संगठनों के खिलाफ बोलें तथा लोगों को इनसे न जुड़ने के लिए कहें | लेकिन यहाँ तो कई न्यूज़ एजेंसियां उलटा ही काम कर रहीं हैं | इन आतंकी संगठनों को मासूमों का झुण्ड साबित करने में लगीं हैं, इनकी मौत का ऐसे गुणगान किया जाता है जैसे कि कोई क्रांतिकारी शहीद हुआ हो |

जिन आतंकिओं के लिए लोगों के दिलों में नफरत होनी चाहिए ताकि लोग आतंक की राह से नफरत करें और देशभक्त बनें, उन के प्रति आये दिन इस तरह की बयानबाजी करके नफरत की जगह सहानुभूति की भावना क्यों लाना चाहती हैं ऐसी न्यूज़ एजेंसियां ? आये दिन इस तरह की बातें करके कहीं न कहीं मीडिया यही साबित करता है कि इनकी भी फंडिंग शायद वहीँ से हो रही है जहाँ से इन आतंकवादियों की हो रही है | कोई भी देशभक्त इंसान आतंकियों का बचाव नहीं कर सकता |

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Varun Shrivastava
Varun Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
He is a founder member and a writer in SarthakChintan.com.
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