Tuesday, May 14, 2024
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प. बंगाल के हालात के लिए दोषी कौन – ममता बेनर्जी या प. बंगाल की जनता ?

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लम्बे समय की गुलामी इंसान के सिर्फ शरीर को नहीं बल्कि उसकी आत्मा को भी गुलाम बनाने लगती है | गुलाम भारत की जनता के भी एक बड़े हिस्से ने गुलामी को ही जीवन मान लिया था वरना इतने बड़े देश को कई सौ साल तक गुलाम बनाकर रखना असंभव था | गुलाम भारत की आबादी हमेशा से ही इतनी तो थी ही कि यदि वो एकजुट होकर कोशिश करते तो विदेशों से आये इन चंद हमलावरों की सत्ता को कब का उखाड़ कर फेंक देते | लेकिन कभी एकता की कमी तो कभी निराशा तो कभी विदेशी शिक्षा पद्धति के रंग में रंगे कई लोगों के दिल में अपने देश के प्रति हीन भावना तो कभी अपनों की ही गद्दारी की वजह से इस देश पर विदेशियों का शासन सालों साल चलता रहा | कई महान क्रांतिकारियों द्वारा शुरू की गयीं बड़ी क्रांतियां पूर्ण सफलता प्राप्त करने के पहले ही इन महान क्रांतिकारियों की शहादत के साथ समाप्त हो गयीं | लम्बी गुलामी की वजह से जनता की आत्मा भी शायद इतनी गुलाम हो गयी थी कि लोगों के दिलों में क्रांति की ज्वाला जलाने के लिए कई महान क्रांतिकारियों को दिन रात मेहनत करनी पड़ी | ऐसा ही कुछ मुझे आज प. बंगाल की जनता का हाल दिखाई दे रहा है |

प. बंगाल की जनता पहले तो कई सालों तक लेफ्ट पार्टियों के हाथों की कठपुतली बनी रही और अब तृणमूल कांग्रेस के जाल में फंसी हुई है | आये दिन प. बंगाल से कई ऐसी खबरें आती रहती हैं कि विश्वाश ही नहीं होता कि यह भारत का हिस्सा है या पाकिस्तान का और इस सब के बाद भी जब भी कोई चुनाव होता है तो ऐसी ही शक्तियों को ही दुबारा चुना जाता है | कई सालों से यह पूरा प्रदेश कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों एवं ईसाई मिशनरियों के इशारों पर नाच रहा है | यह कहना कोई बड़ी बात नहीं होगी कि यदि ऐसा ही चला तो कुछ समय बाद शायद प. बंगाल के भी हालात कश्मीर से बुरे नहीं तो कम से कम कश्मीर जैसे तो हो ही जायेंगे | मैंने इस मुद्दे पर कुछ पढ़े लिखे बंगालियों से बात की तो उनमें से कुछ लोगों की तो सोच ने मुझे हैरत में डाल दिया | इन के विचार सुनकर यह तो समझ आ गया कि इतने सालों के लेफ्ट और तृणमूल कांग्रेस के राज ने इनकी सोच वैसी ही उल्टी कर दी है जैसे कि गुलाम भारत में विदेशी शिक्षा पद्धति के द्वारा कई लोगों के दिलों में अपनी संस्कृति और देश के प्रति हीन भावना डाल दी गयी थी और वो गुलामी को वरदान समझने लगे थे | आजकल जो भी कुछ प. बंगाल में हो रहा है वो या तो इनको समझ ही नहीं आ रहा या फिर ये समझना ही नहीं चाहते | पहले सालों तक लेफ्ट सरकार के राज और अब फिर तृणमूल कांग्रेस के राज ने शायद इन्हें इस सब का आदि बना दिया है और इन्होने सेकुलरिज्म के नाम पर होने वाले हिन्दू विरोध को सही मानना शुरू कर दिया है |

वैसे तो यह कोई पहली बार नहीं हुआ है जबकि सेकुलरिज्म के नाम पर प. बंगाल की ममता बेनर्जी सरकार ने किसी हिन्दू त्यौहार पर सरकारी रोक लगायी है | पहले भी कई बार हुआ है, पिछली साल इसी बात पर अदालत ने फटकार भी लगायी थी | तथाकथित सेक्युलर जमात से तो खैर हिन्दुओं और हिन्दू धर्म के अपमान के अलावा और कोई उम्मीद की नहीं जा सकती लेकिन कई महान क्रांतिकारियों की जन्मस्थली बंगाल की जनता को आजादी के बाद क्या हो गया ? जनता शायद भूल गयी है कि यह नेता जी सुभाष चंद्र बोस एवं अन्य कई महानायकों की जन्मस्थली है | क्रांति, धर्म, विज्ञान, कला आदि सभी क्षेत्रों में इस प्रदेश के लोगों ने देश का नाम ऊंचा किया है | परन्तु ऐसे प्रदेश की जनता को चुनावी क्षेत्र में क्या हो जाता है ? आज प. बंगाल में जो कुछ भी हो रहा है उसके लिए वहां की जनता भी उतनी ही जिम्मेदार है जितनी कि वहां की सरकारें और ये हालात तब तक नहीं बदलेंगे जब तक कि वहां की जनता अपने अंदर छुपी इस गुलामी को हटाएगी नहीं और सत्य को देखना और पहचानना शुरू नहीं करेगी |

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Varun Shrivastava
Varun Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
He is a founder member and a writer in SarthakChintan.com.
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