Tuesday, May 14, 2024
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श्री राम जन्म भूमि आंदोलन के महानायकों के बिना मनाया गया शौर्य दिवस अर्थहीन

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श्री राम जन्म भूमि आंदोलन में शहीद हुए या शामिल हुए जीवित महानायकों की चरणवंदना करते हुए मैं इस लेख का शुभारम्भ करता हूँ | ६ दिसंबर १९९२ भगवान श्री राम के भक्त असली हिन्दुओं के लिए तो निस्संदेह शौर्य दिवस ही है | इस साल भी आज के कई ऐसे तथाकथित हिन्दू नेता जिनका इस आंदोलन में किसी तरह का कोई योगदान नहीं था, वो गर्व से बड़े बड़े दावे कर रहे थे कि भगवान श्री राम का मंदिर अयोध्या में ही बनेगा और शौर्यदिवस मना रहे थे | भाजपा ने भी इस मुद्दे को उछाला और अपने ९० के दशक के इतिहास और इस आंदोलन में अपने योगदान के नाम पर जनता से समर्थन की उम्मीद जताई | मैं यह लेख ६ दिसंबर को लिखना चाहता था परन्तु रुक गया यह देखने के लिए कि आज की वोटबैंकवादी राजनीति भगवान श्री राम की जन्म भूमि के आंदोलन के महानायकों को याद करती है या नहीं | जब किसी बड़े अवसर जैसे कि स्वतंत्रता दिवस आदि को मनाया जाता है तब उसके महानायकों को याद किया जाता है परन्तु श्री राम जन्म भूमि आंदोलन के महानायकों को आज भुला दिया गया है और घर पर बिठा दिया गया है | इस पूरे आंदोलन में शामिल हुए कई कारसेवकों ने अपनी जान दे दी, उनमें से कई मध्यम वर्ग या गरीब वर्ग के थे और अपने परिवार को रामभरोसे छोड़कर वो भगवान श्री राम के इस आंदोलन में शहीद हुए | कई ऐसे भी थे जो महीनों जेल में बंद रहे | ऐसे कई महान वंदनीय उदाहरण हैं और उन सभी का यहाँ नाम लिखना संभव नहीं | मेरे पिता जी भी इस आंदोलन के सिपाही थे और रा.सु.का. में कुछ महीने जेल में बंद थे, मैं भी एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ तो जानता हूँ कि जब मध्यमवर्गीय घर का एकलौता कमाने वाला इंसान यदि जेल में हो तो परिवार पर क्या बीतती है | मेरे पिता जी मेरे जिले के उन चार लोगों में से एक थे जिनको रा.सु.का. में बंद किया गया था, जिले और मंडल के कई तथाकथित बड़े नेताओं पर भी उस समय रा.सु.का. नहीं लगायी गयी थी | उस समय के लोग निर्लज्ज नहीं थे और सच में राम भक्ति भाव में थे इसलिए जब रा.सु.का. में जेल गये ये चार नेता जेल से वापस आये तो उनका पूरे शहर ने दिल खोल के स्वागत किया था | विश्व हिन्दू परिषद्, बजरंग दल, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ आदि सभी हिंदुत्ववादी संगठनों ने सार्वजनिक मंच पर उनका स्वागत और सम्मान किया था और पूरे शहर में जुलूस निकाल कर सभी लोग उनको घर तक छोड़ने गए थे | परन्तु इस साल जब शौर्य दिवस मनाया गया तो उस में वी. वी. आई. पी. तो वो लोग थे जिनका कि इस आंदोलन में कोई योगदान ही नहीं था और जिनका योगदान था उनको इस लायक भी नहीं समझा गया कि उनको याद किया जाये या समारोह में बुलाया जाये |

आज की राजनीति सिर्फ एक चीज जानती है और वो है वोटबैंक | सिर्फ उन्हीं की कीमत है जो वोटबैंक बन सकते हैं | हिन्दू वोट भी अब वोटबैंक बन चुके हैं अतः हिंदुत्व की बात सिर्फ वहाँ की जाती है जहाँ वो वोटबैंक बन सके | श्री राम जन्म भूमि आंदोलन के आंदोलनकारी तो इस सब मोहमाया से दूर थे और उनका प्रथम ध्येय भगवान श्री राम चंद्र जी का भव्य मंदिर बनवाना ही था | परन्तु आज की जातिवादी राजनीति में राष्ट्रवाद, हिंदुत्व एवं ईमानदारी के आदर्शों पर चलने वाले नेताओं को रास्ते से हटाना बहुत आसान है और पूरी बेशर्मी के साथ ऐसा किया भी जा रहा है | श्रद्धेय श्री लाल कृष्ण अडवाणी जी ने अपने राजनैतिक जीवन के आखिरी के कुछ वर्षों में कुछ ऐसी गलतियां कर दीं जिन की वजह से आज के कुछ नए तथाकथित हिंदुत्ववादी उनको कोसते रहते हैं, यह बात अलग है कि ऐसे लोगों को न तो ९० के दशक का इतिहास पता है न ही हिंदुत्व के क्षेत्र में श्री लाल कृष्ण अडवाणी जी का इतिहास | यदि ९० के दशक में अडवाणी जी नहीं होते तो आज ऐसा बहुत कुछ नहीं होता जिसकी दम पर ये नए नए पैदा हुए हिंदुत्ववादी आज हिन्दू हिन्दू का नारा लगा पाते | भाजपा के वर्तमान नेतृत्व ने सब कुछ जानते हुए भी पूरी बेशर्मी के साथ अडवाणी जी को एक तरह से खत्म ही कर दिया | शौर्य दिवस मनाने की घोषणा तो कर दी लेकिन उस के मुख्य महानायकों में से एक आडवाणी जी का सम्मान नहीं कर पाए | अडवाणी जी तो राष्ट्रीय राजनीति में थे तो उनका नाम सब को पता है लेकिन श्री राम जन्म भूमि आंदोलन के ऐसे कई सिपाही थे जिनके नाम राष्ट्रीय स्तर पर भले ही न आ पाए हों लेकिन वो महान थे, हैं और रहेंगे | आज कल के किसी नेता की इतनी हैसियत नहीं कि वो उनको इस पुण्य से वंचित कर पाएं क्योंकि नेता कोई भी हो लेकिन प्रभु श्री राम से बड़ा नहीं हो सकता और न्याय तो प्रभु श्री राम की अदालत में ही होगा | ढोंग इंसान को वोट तो दिला सकता है परन्तु प्रभु श्री राम की कृपा नहीं |

महान नेता का जीवन निस्वार्थ ही रहता है अतः श्री राम जन्म भूमि आंदोलन के महानायक अपने इस अपमान पर भी चुप रह गए | दुर्भाग्यवश मैं श्री राम जन्म भूमि आंदोलन के समय बच्चा था तो उसमें शामिल नहीं हो पाया, अतः मैं भी एक आम इंसान ही हूँ | परन्तु इस बात का खुलकर विरोध भी कर रहा हूँ कि जो महान लोग इस आंदोलन में शामिल हुए उनको आज क्यों भुला दिया गया ? क्यों हिन्दू अपने असली आदर्श नहीं पहचान पा रहा है ? क्यों आज की चुनावी सभाओं में सिर्फ कुछ बड़े नेताओं की माँ की बात होती हैं परन्तु श्री राम जन्म भूमि आंदोलन में शहीद हुए आदरणीय श्री कोठारी बंधुओं की माता की बात नहीं होती, कई ऐसी और महान माताएं थीं जिन्होंने प्रभु श्री राम के इस महान आंदोलन के लिए अपनी संतानों की आहुति दे दी थी परंतु उनकी भी बात आज नहीं होती | ऐसा माहौल बनाया दिया गया कि असली महानायकों एवं उनके परिवारों का नाम गुम हो गया और कुछ तथाकथित हिंदुत्ववादी नेता बिना इस आंदोलन में शामिल हुए ही हिन्दू वोट बटोरते रहें |

लेकिन लोग ये भूल जाते हैं कि महान इंसान को तो अपने रास्ते से हटाया जा सकता है लेकिन उसके विचार एवं आदर्श को मारना असंभव है और वो हमेशा जिन्दा रहेंगे | मैं ढोंगियों का नहीं बल्कि उनका प्रशंसक हूँ जो सच में इस आंदोलन में शामिल हुए थे या अन्य किसी मौके पर जिन्होंने हिंदुत्व की विचारधारा को आगे बढ़ाया हो, सिर्फ किसी पार्टी विशेष का नेता होने की वजह से मैं किसी का समर्थक या विरोधी नहीं बन सकता | ढोंगियों से मैं यही कहूंगा कि आप भी कुछ अच्छे कर्म करो और तब मेरे जैसों से सम्मान प्राप्त करने की इक्छा करो, ढोंग आपको आजीवन बड़ा नेता बना कर नहीं रख सकता और आज नहीं तो कल आप धरातल पर आएंगे ही | और जो हिंदुत्व या भगवान श्री राम के मंदिर के विरोधी हैं उनको सजा स्वयं श्री राम दे ही रहे हैं | जय श्री राम |

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Varun Shrivastava
Varun Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
He is a founder member and a writer in SarthakChintan.com.
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