Friday, April 26, 2024
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शहीद की बेटी के देशद्रोही हीरो

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शहीद मनदीप सिंह की बेटी गुरमेहर कौर ने अपने पिता की मृत्यु के विषय में पाकिस्तान का बचाव ही नहीं किया बल्कि साफ साफ कह दिया कि उन्हें पाकिस्तान ने नहीं मारा | तो क्या मनदीप सिंह की देश के लिए शहादत नहीं हुई ? मृत्य का कोई न कोई निमित्त अवश्य होता है | जब युद्ध होता है तो बंदूकें, तोपें और बम चलते हैं जिनसे सैनिकों की मृत्य होती है परंतु मृत्यु के लिए हथियार नहीं बल्कि इन्हें चलाने और चलाने का आदेश देने वाले उत्तरदायी होते हैं अर्थात वे देश व देशवासी जिनके मध्य युद्ध होता है | इतनी सी बात छोटा बच्चा भी समझता है परंतु गुरमेहर द्वारा पाकिस्तान को क्लीन चिट देना चरम सीमा का देशद्रोह है | देशद्रोहियों के सेमिनार का समर्थन करना और भी बड़ा देशद्रोह है | एक देशभक्त और शहीद के घर में ऐसी देशद्रोही और निकृष्ट संतान पैदा होना किसी अभिशाप से कम नहीं है | गहराई से देखें तो गुरमेहर ने अपने पिता के चित्र से फूलों की माला उतारकर उस पर कचरे की चीजों से बनी माला पहनाने की कोशिश की है और बलिदान को कलंकित किया है |

देशद्रोह, अपनी संस्कृति व महान परम्पराओं व श्रेष्ठ इतिहास का उपहास करना और अभद्र व अपमानजनक टिप्पणियां करना अभिव्यक्ति की आजादी की परिधि में नहीं आता बल्कि घोर अपराध है और कानून का उल्लंघन है जो दण्डनीय अपराध है | राष्ट्रवाद, देशभक्ति, भारतीय संस्कृति, हिन्दू धर्म का विरोध करने से प्रगतिवादी, आधुनिक, सेक्युलर होने का का प्रमाणपत्र स्वतः मिल जाता है ऐसा भारत में चलन रहा है | वामपंथी व समाजवादी विचारधारा में राष्ट्रवाद, देशभक्ति, अपनी संस्कृति और धर्म का कोई स्थान नहीं है ऐसी सोच गलत है | परंतु भारतीय कम्युनिस्टों की अपरिपक्व सोच के कारण गड़बड़ हो गयी | | भारतीय कम्युनिस्टों का एक वर्ग रूस का और दूसरा वर्ग चीन का पिछलग्गू रहा | दोनों के दोनों अपने आदर्श माने जाने वाले देश के हाथों की कठपुतली बने रहे | भारत में भारतीय संस्कृति और धर्म की जड़ें बहुत गहरी रहीं हैं जिन्हें कमजोर करने के अभियान में वामपंथी देशों के साथ साथ ईसाई मिशनरियाँ लंबे समय से जुटी हुईं हैं | इसीकारण साहित्यकार, पत्रकारिता से जुड़े लोगों के साथ साथ कम्युनिस्ट, सोशलिस्ट और कथित सेक्युलर लोग भारतीय संस्कृति और धर्म को कमजोर करने में जुटे चले आ रहे हैं क्योंकि न तो बिना इसके भारत में कम्युनिज़्म सफल हो सकता है और न ही भारत को ईसाई अथवा इस्लामिक देश बनाया जा सकता है | परंतु ये सभी भूल जाते हैं कि दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जो राष्ट्रवादी न हो | राष्ट्रवाद के मूल में देशप्रेम होता है और साथ ही संस्कृति से भी प्रेम होता है और इसी से उस देश की पहचान होती है व गौरव बढ़ता है | रूस व चीन ने राष्ट्रवाद भी अपनाया तथा अपनी संस्कृति से प्रेम भी किया | भारतीय कम्युनिस्टों ने इसके विपरीत आचरण किया | राष्ट्रवाद के बिना तथा देश व संस्कृति के अभाव में भारत में कम्युनिज़्म अधिक प्रभाव नहीं बना सका और अब तो पूरी तरह से समाप्ति की ओर बढ़ रहा है | सोशलिज्म तो कम्युनिज़्म का उदारवादी संस्करण है उसका भी वही अंजाम होना था सो हुआ |

परंतु भारतीय कम्युनिस्टों की पुरानी आदत गयी नहीं इसी कारण जहाँ भी देश के हितों की बात हो, भारतीय संस्कृति तथा भारत का सही इतिहास हो तथा महान परम्परायें हों वहाँ वहाँ कम्युनिस्ट विरोध करने पहुँच जाते हैं | इसी कारण पाकिस्तान परस्ती हो, अलगाववादी हों, किसी भी पड़ौसी देश द्वारा पोषित आतंकवाद से जुड़े लोग हों, उनके समर्थन व बचाव में कम्युनिस्ट खड़े दिखाई देते हैं | भारतीय सोशलिस्ट, सेक्युलर तथा विदेशी विदेशी धन में बिके हुए साहित्यकार व मीडिया से जुड़े लोग भी कम्युनिस्टों के सुर में सुर मिलाते नजर आते हैं | ये सभी घटनायें देशद्रोह की परिधि में आतीं हैं | ऐसी घटनाओं व हरकतों को रोकने का काम भाषणों से नहीं होगा बल्कि इसके लिए कड़ा कानून बनना चाहिए जिसे लागू करने की प्रक्रिया भी सरल बनानी होगी | यही एक मात्र उपाय है | वामपंथियों एवं तथाकथित सेक्युलर लोग भारतीयों विशेषकर हिंदुत्व समर्थकों को उकसाने का काम भी कर रहे हैं ताकि हिन्दू आतंकवाद भी शुरू हो जाये और भारत विरोधी आतंकवाद के बचाव का उन्हें अच्छा बहाना मिल जाये |

(फोटो साभार – www.satyavijayi.com)

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Om Prakash Shrivastava
Om Prakash Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
M.A., L.L.B., Advocate, Notary Public Lalitpur (U.P.). He has interest in social service since his student life. He was active in student politics. He was arrested and sent to Jail for 1 month and 10 days for giving a speech in Lucknow University against the cancellation of recognition of Students Unions in India. He was president of Student Union of Bundelkhand College Jhansi (U.P.). He was in jail for 21 days for his participation in J.P. movement before emergency. He leaded a student group for a protest against emergency in India and was in jail for 5 months and 21 days in D.I.R. in Jhansi (U.P.) for this. That’s why U.P. Government has declared him ‘Loktantra Senani’. He is a National Executive Member of 'Loktantra Rakshak Senani Mahasangh'. He is Convener of ‘Lok Jagrati Manch’ and ‘Sarthakchintan.com’. He is an active member of BJP. His many articles have been published in different newspapers.
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