Saturday, April 20, 2024
HomeOtherHistoryमैला ढोने अर्थात शौचालयों से मल को सर पर ढोकर उसे बस्ती...

मैला ढोने अर्थात शौचालयों से मल को सर पर ढोकर उसे बस्ती के बाहर फेंकने की प्रथा कब से ?

- Advertisement -

“अरब देशों में काबीलाई संस्कृति थी | महिलाओं के अपहरण व लूट की घटनाओं के कारण घर में ही शौचालय बनाये गए | शौचालय साफ करने तथा मैला ढोने की प्रथा प्रारम्भ हुई |”

प्राचीन काल में भारत में घर से बाहर झाड़ियों व खेतों में शौच हेतु जाने की प्रथा थी | प्रारम्भ में साथ में छोटा कुदाल अथवा फावड़ा ले कर जाना तथा गड्ढा खोदकर उसमें शौच करना और बाद में उसे ढक देने की परंपरा थी ताकि दुर्गन्ध व कीटाणुओं से बचाव हो तथा भूमि की उर्वरा क्षमता भी बढ़े | कालांतर में कुदाल व फावड़ा लेकर जाना बंद हो गया | संत समाज, राजा, प्रजा सभी इसी परंपरा का निर्वाह करते थे | ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक यह परंपरा जारी है तथा शौच क्रिया के लिए जाने के लिए “जंगल – झाड़ें” शब्द का प्रयोग किया जाता रहा है | अरब देशों में इस्लाम के आगमन के पश्चात धार्मिक कारणों से बहुत युद्ध हुए तथा रक्तपात भी बहुत हुआ | इस्लाम का प्रचार प्रसार भी तलवार के बल पर हुआ | सम्पूर्ण क्षेत्र छोटे छोटे राज्यों व कबीलों में बंटा हुआ था | आपसी वैमनस्य बहुत था | सम्पन्नता व शिक्षा का भी अभाव था | अरब देशों में काबीलाई संस्कृति थी | महिलाओं के अपहरण व लूट की घटनाओं के कारण घर में ही शौचालय बनाये गए | शौचालय साफ करने तथा मैला ढोने की प्रथा प्रारम्भ हुई | यूरोप तथा उससे लगे हुए क्षेत्र जो सोवियत संघ का भाग बने अधिक ठन्डे क्षेत्र हैं | कहीं कहीं पूरे वर्ष भर तथा कहीं कहीं कुछ माह तक बर्फ जमीं रहती है | घर से बाहर निकलना, शौच के लिए खुले में जाना कहीं कठिन और कहीं असंभव था | इस कारण वहां बड़े बड़े गड्ढे मकान से लगे हुए हिस्से में बनाने की प्रथा थी जो सोख्ता-टैंक कहलाते थे | मौसम ठीक होने अथवा कुछ साल बाद इन्हें साफ करने की आवश्यकता होती थी जिसके लिए ऐसे सफाई कर्मियों की आवश्यकता हुई | इस प्रकार इन क्षेत्रों में भी मैला साफ करने की परंपरा थी |

अरब देशों व ऐसे क्षेत्रों में संसाधनों का अभाव तो था ही, निर्धनता भी बहुत थी | गुलाम रखकर उनसे तरह तरह की सेवा लेना आम बात थी | इसी परिस्थिति का लाभ उठाकर स्वीपर, भिस्ती नाम से सफाई कर्मियों का समुदाय बनाया गया | भारत में यह प्रथा मुगलों के आने के बाद प्रारम्भ हुई | करीब एक हजार साल पूर्व मुग़ल आक्रमणकारी जो भारत में ही अपनी सत्ता स्थापित करके निवास करने लगे, उन्हें अपनी महिलाओं के लिए घर में ही शौचालय बनाने की आवश्यकता थी | उनके साथ संभव है की कुछ भिस्ती भी आये हों | परंतु बहुपत्नी प्रथा के चलते उन्होंने भारत में ही महिलाओं की लूटपाट की और परिवार बढ़ाये जिसके कारण भारी संख्या में शौचालय झाड़ने तथा मैला ढोकर बस्ती के बाहर ले जाने वालों की आवश्यकता थी | धन व संपत्ति की लूट, महिलाओं की लूट के साथ साथ देशवासियों पर दिल दहला देने वाले अत्याचार व उत्पीड़न हुए | जिन पर विद्रोह, सत्ता के फरमानों की अवहेलना के आरोप थे तथा जिन्होंने धर्मान्तरण स्वीकार नहीं किया, परिवार की महिलाएं नहीं सौंपी, अपहरण का विरोध किया उन्हें तरह तरह की यातनाएं व दण्ड दिए जाते थे जिनमें से एक दण्ड शौचालय साफ करने का भी था | इसी प्रकार से शौचालय साफ करने तथा मैला सर पर ढोकर बस्ती से बाहर ले जाने की प्रथा भारत में शुरू हुई | जिन्हें शौचालय साफ करने की जिम्मेदारी मिली उनमें उस समय के सक्षम लोग अधिक थे जैसे कि जागीरदार, जमींदार तथा मुगलों से युद्ध करने वाले सैनिक जो बंदी बनाये गए | आज बाल्मीकि समाज के गोत्र पता करेंगे तो उनमें सवर्णों तथा ऐसी पिछड़ी जातियों के गोत्रों से मिलते जुलते गोत्र मिल जायेंगे जो जमींदार तथा सैनिक स्वभाव के समुदाय थे |

मैला ढोने व शौचालय साफ करने का दण्ड पाकर जिन्हें यह कार्य करने को विवश होना पड़ा उनके ही परिजनों व समुदाय के लोगों ने या तो घृणा के भाव से अथवा मुगलों के भय से तिरस्कृत व बहिष्कृत कर दिया | विवश होकर उन्होंने बस्ती के किनारे आवास बनाये  तथा आपस में विवाह सम्बन्ध करना शुरू कर दिया और एक जाति ही बन गयी जिन्हें भंगी व मेहतर कहा जाने लगा | हम इतिहास उठाकर देखें तो इस स्तर पर हमारे यहाँ एक ही समुदाय होता था जिसके तीन प्रकार के कार्य थे | पहला बस्तियों में सफाई-झाड़ू, शमशान घाट पर डोम का कार्य तथा मृत्युदंड की प्रक्रिया अर्थात फांसी पर लटकाना | इसके अतिरिक्त राजा और जागीरदारों के साथ प्रमुख सेवाओं में भी इस समुदाय के लोग रहते थे | राजा और राजकुमारों को अधिक भोजन परोसने की प्रथा थी ताकि बचा हुआ भोजन पत्तल उठाने वाले इन सेवादारों को ही मिले | ओरछा राज्य के राजा के छोटे भाई हरदौल की कथा में आता है कि हरदौल ने विषयुक्त भोजन किया अपने साथी जो डोम परिवार का था उसे भोजन करने से मना किया परंतु उसने यह कहकर भोजन किया कि आपके साथ जिया हूँ और मरूँगा भी आपके साथ, साथ में रहने वाले कुत्ते को भी वही भोजन कराया तो तीनों की मृत्यु साथ में हुई | हरदौल के चबूतरे के बगल में ही मेहतर बाबा का चबूतरा बनाया जाता है जिस पर कुत्ते की मिटटी की मूर्ती रखी जाती है |

मुगलों की देखादेखी अन्य भारतियों ने भी घर में शौचालय बनवाना शुरू किये ताकि उनकी महिलाओं को लूट से बचाया जा सके तथा साथ ही शहरों की बड़ी बस्तियों के कारण भी यह सबकी आवश्यकता बन गयी | अंग्रेज आये उन्हें भी सोख्ता-टैंक की आदत थी | उन सोख्ता टैंकों को साफ करने के लिए उनको भी सफाई कर्मियों की आवश्यकता थी | इस कारण उनके राज में भी मैला ढोने की प्रथा जारी रही |

महर्षि बाल्मीकि डोम जाति में पैदा हुए थे | फांसी देने वाले कर्मचारी चाण्डाल कहलाते थे वह भी इसी जाति व समुदाय के हुआ करते थे | महर्षि बाल्मीकि सन्यासी होने के पूर्व गृहस्थ थे तथा लूटपाट का कार्य करते थे | जब वह सन्यासी हुए और बड़े विद्वान हुए तो उन्होंने गुरुकुल भी चलाया तथा ऋषि के रूप में दूसरा विवाह भी किया | गुरुकुल तथा ऋषि-मुनि समाज में अत्यधिक प्रतिष्ठित भी थे जो उस समय की सामाजिक व्यवस्था का प्रमाणिक उदाहरण है | परंतु मुगल काल के समय जो अन्याय शुरू हुआ उसमें हमारे लोगों को ही आज तक दोषी ठहराया जाता है क्योंकि अंग्रेजों ने हमारे देश, धर्म, संस्कृति, उद्योग, व्यापार, शिक्षा, सामाजिक संरचना का गलत इतिहास लिखवाया ताकि इस देश का देशवासी अपनी दुर्दशा के लिए एक दूसरे को दोषी मानते रहें तथा आपस में विद्वेष व झगड़ा बना रहे और उनका राज चलता रहे | इतिहास का पुनर्लेखन होना इन्हीं कारणों से भी आवश्यक है |

- Advertisement -
Om Prakash Shrivastava
Om Prakash Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
M.A., L.L.B., Advocate, Notary Public Lalitpur (U.P.). He has interest in social service since his student life. He was active in student politics. He was arrested and sent to Jail for 1 month and 10 days for giving a speech in Lucknow University against the cancellation of recognition of Students Unions in India. He was president of Student Union of Bundelkhand College Jhansi (U.P.). He was in jail for 21 days for his participation in J.P. movement before emergency. He leaded a student group for a protest against emergency in India and was in jail for 5 months and 21 days in D.I.R. in Jhansi (U.P.) for this. That’s why U.P. Government has declared him ‘Loktantra Senani’. He is a National Executive Member of 'Loktantra Rakshak Senani Mahasangh'. He is Convener of ‘Lok Jagrati Manch’ and ‘Sarthakchintan.com’. He is an active member of BJP. His many articles have been published in different newspapers.
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular