Wednesday, April 24, 2024
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देश की 67% जनता के पास भाजपा और उसके सहयोगी पार्टियों के मुख्यमंत्री

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इस समय देश की ५२.७० % जनता के पास भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री हैं और लगभग १४% जनता के पास एन. डी. ए. के अन्य सहयोगियों के | मतलब के लगभग ६७% जनता इस समय कांग्रेस मुक्त शासन में है | यह भारत में उस एक बड़े परिवर्तन के सबूत हैं जिसे भाजपा विरोधी और कांग्रेस समर्थक खेमा स्वीकार करना नहीं चाह रहा है | यह कांग्रेस के सूर्यास्त और भाजपा के खेमे के सूर्योदय का प्रमाण है चाहे कोई माने या ना माने |

२०१३ में मोदी जी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाने की अटकलों के साथ ही देश में एक बड़े बदलाव की शुरुआत हो चुकी थी | यह एक ऐसा मौका था जब जनता ने सोशल साइट्स एवं अन्य माध्यमों के जरिये एक बड़ी राष्ट्रीय पार्टी अर्थात भाजपा को अपना सन्देश दे दिया था कि वो अब उस से मोदी जो को ही प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार चाहती है | भाजपा किसी परिवार या व्यक्ति की पार्टी नहीं है तो उसे जनता की इस मांग को सुनना पड़ा और उसने इस बदलाव को स्वीकार किया | परन्तु परिवारवाद और व्यक्तिवाद में डूबी कांग्रेस शायद इस परिवर्तन को महसूस नहीं कर पायी और लगातार उसके नेता मोदी जी पर व्यक्तिगत टिप्पणी करते रहे और जनता में मोदी जी के प्रति समर्थन बढ़ाते रहे | सबसे बड़ी मूर्खता तो वो मोदी जी के चाय बेचने वाले इतिहास पर टिप्पणी थी | देश का गरीब तबका इस टिप्पणी से भड़का और मोदी जी के साथ यह कहकर खड़ा हो गया कि चाय बेचने वाले गरीब परिवार का व्यक्ति भारत का प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकता, क्या इस पद पर सिर्फ किसी परिवार विशेष का अधिकार है |

चुनाव संपन्न हुए और वो हुआ जिसकी कांग्रेस को सहायद उम्मीद भी न थी | एक ओर भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला वहीँ दूसरी ओर कांग्रेस ५० सीट भी न पा सकी | उसके बाद एक ऐसी मोदी लहार आयी जिसमें एक के बाद एक राज्य भाजपा के होते गए | हालाँकि इस लहार के बावजूद बिहार और दिल्ली में भाजपा को पराजय का मुंह देखना पड़ा लेकिन जल्द ही वहां की सरकारों के कारनामों से जनता का उन पार्टियों से मोहभंग होना शुरू हो गया | केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को एम. सी. डी. में बुरी हार झेलना पड़ी वहीँ नितीश कुमार को भी अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने महागठबंधन को छोड़कर वापस एन. डी. ए. के खेमे में वापसी कर ली | इसी वापसी के साथ अब देश की ६७% जनता के पास भाजपा एवं उसके सहयोगियों के मुख्यमंत्री हैं |

कांग्रेस एवं अन्य परिवारवादी और जातिवादी पार्टियां शायद अब भी सत्य को स्वीकार नहीं करना चाहती हैं | उसका नुकसान उन्हें आने वाले समय में भी झेलना ही पड़ेगा | लेकिन सत्य यही है कि अब जनता को परिवारवाद एवं जातिवाद नहीं बल्कि योग्य उमीदवार में ज्यादा रूचि है | परिवारवादी और जातिवादी पार्टियों से फिलहाल किसी परिवर्तन की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है क्योंकि वो आज भी अपनी इसी गन्दी राजनीति  में व्यस्त हैं | यह भाजपा को भी एक अच्छा सबक है कि वो परिवारवाद और जातिवाद से दूर रहे | यदि भाजपा इस सबक को समझ ले और परिवारवाद और जातिवाद से दूर रहे तो आने वाले कई साल भाजपा के ही रहेंगे और यदि भाजपा भी परिवारवाद और जातिवाद की अंधी दौड़ में चल पड़ती है तो जनता आने वाले समय में किसी नए विकल्प के साथ हो जाएगी |

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Varun Shrivastava
Varun Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
He is a founder member and a writer in SarthakChintan.com.
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