Saturday, April 20, 2024
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विपक्षी नेता प्रचार अपनी पार्टी का करते हैं या भाजपा का ?

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कई बार तो विपक्ष के कई नेताओं और प्रवक्ताओं को देखकर यह समझ ही नहीं आता कि वो जनता को अपनी पार्टी को वोट देने के लिए समझा रहे हैं या जनता को यह सन्देश दे रहे हैं कि वोट उनको नहीं बल्कि भाजपा को देना | यह तो अब कई लोगों को समझ आने लगा है कि वर्तमान विपक्ष पूरी तरह से दिशाहीन है | किस मुद्दे को उठाना है किस को नहीं, किस पर क्या बोलना है और किस पर क्या करना है, यह सब उनको सिखाने वाला कोई योग्य नेता बचा नहीं है | खैर योग्यता की जगह चापलूसी, परिवारवाद और जातिवाद के आधार पर नेता पैदा करने का परिणाम यही होता है |

अभी कुछ दिन से विपक्षी नेता और उनका गुणगान करने वाले कुछ पत्रकार मोदी जी पर आरोप लगा रहे थे कि वो ट्विटर पर गाली गलौज करने वालों को फॉलो करते हैं | अभी कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर भाजपा को ठीक से घेर भी नहीं पायीं थीं कि कांग्रेस के बड़े नेता दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी जी और उनके समर्थकों को गाली दे डाली | अब वो गाली क्या थी यह आप लोगों ने पढ़ ही लिया होगा अतः मैं उसे यहाँ लिखना नहीं चाहता, वैसे भी मैं गाली वाले शब्द अपने लेखों में लिखता नहीं हूँ | अब ये जो लोग मोदी जी पर बयानबाजी कर रहे थे उनमें से ज्यादातर लोग दिग्विजय सिंह को ट्विटर पर फॉलो करते हैं, अब क्या कहें और किस मुंह से कहें | इनमें से कुछ लोगों ने बेशर्मी के साथ यह कहकर दिग्विजय सिंह का बचाव करने की नाकाम कोशिश की कि उस ट्वीट में जो लिखा था वो गाली नहीं बल्कि बेवकूफ शब्द का एक आम बोलचाल का पर्यायवाची है, हालाँकि कुछ ट्विटर यूज़र्स ने इसी तथाकथित पर्यायवाची का जब ऐसे लोगों पर उपयोग किया तो उनको उन्होंने तुरंत ब्लॉक कर दिया | यह कोई पहला मौका नहीं है जबकि किसी न किसी बड़े नामी विपक्षी नेता ने कोई ऐसा अनावश्यक काण्ड किया हो कि उस वजह से उसकी पार्टी जो मुद्दा उठा रही थी उस मुद्दे की ही हवा निकल गयी | और फिर कांग्रेस पार्टी के बारे में क्या कहें जब उनके शीर्ष नेता राहुल गाँधी ही आये दिन अपनी गलतियों की वजह से हंसी का पात्र बने रहते हैं और खुद एक ऐसा चुनावी मुद्दा बन गए हैं कि लोग शायद इसी डर में कांग्रेस को वोट न दें कि कहीं राहुल गाँधी प्रधानमंत्री न बन जाएं | मुझे लगता है कि कांग्रेस पार्टी और उसके समर्थकों से कहीं ज्यादा तो भाजपा और उसके समर्थक चाहते हैं कि राहुल गाँधी जल्दी से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बन जाएं |

विपक्ष में ऐसे कई उदाहरण हैं जो कि भाजपा के लिए भगवान का दिया वरदान साबित हो रहे हैं तथा अनजाने में अपने क्रियाकलापों और विचारों से आये दिन जनता को यही सन्देश देते हैं कि वोट उनकी पार्टी को नहीं बल्कि भाजपा को देना | चाहे वो राहुल गाँधी की ही तरह परिवारवाद के द्वारा शीर्ष पदों पर पहुंचे अन्य कई अयोग्य नेतापुत्र और नेतापुत्री हों, या अनजाने में देश भर के हिन्दुओं को एक करने की मुहिम में जुटे हिन्दू विरोधी सेक्युलर जमात के नेता हों, या अपराधियों और बाहुबलियों को सर पर बैठाकर जनता में यह खौफ भरने वाले नेता हों कि यदि इस पार्टी को वोट दिया तो यह बाहुबली और अपराधी हमारा जीना दूभर कर देंगे, या फिर देशद्रोहियों को समर्थन देकर देश की जनता का खून खौलाने वाले नेता हों, या शहीदों और सेना का अपमान करने वाले और आतंकियों का नाम इज्जत के साथ लेने वाले पाकिस्तान परस्त नेता हों, यह सभी लोग अनजाने में भाजपा के स्टार प्रचारक बने हुए हैं और अपने क्रियाकलापों और विचारों से जनता को रोज यह सन्देश देते रहते हैं कि वोट भाजपा को ही देना | इन लोगों की उपस्थिति मात्रा से आज यह माहौल बन गया है कि यदि भाजपा कुछ बड़ी गलतियां भी करती है तो शायद जनता भाजपा को सिर्फ इसी वजह से माफ़ कर दे कि भाजपा जैसी भी हो लेकिन इस तरह के अन्य उपलब्ध विकल्पों से तो बेहतर ही है | यही एक मुख्य कारण है कि २०१९ लोकसभा चुनाव अभी से इकतरफा ही दिखाई दे रहे हैं और भाजपा एवं उसके समर्थक आत्मविश्वाश से भरे हुए हैं | विपक्ष के पास एकलौता चेहरा नितीश कुमार थे जिनको किसी महागठबंधन का नेता बनाकर यदि विपक्ष एक जुट होकर लड़ता तो शायद कुछ सम्मानजनक नतीजे प्राप्त कर पाता लेकिन ऊपर बताये गए नेताओं की टोली ने नितीश कुमार को इतना मजबूर कर दिया कि उन्हें लग गया कि इस टोली के साथ रहकर प्रधानमंत्री छोड़ो शायद अगली बार मुख्यमंत्री भी न बन पायें, और वो वापस एन. डी. ए. में आ गए | अब नितीश कुमार के जाते ही इस बचे विपक्ष में ऐसा एक भी नेता नहीं है जो कि मोदी जी को बराबरी की टक्कर दे सके |

यह भाजपा के लिए भी एक सीख है कि यदि उसने भी नेताओं का चुनाव योग्यता की जगह चापलूसी, परिवारवाद और जातिवाद के आधार पर किया तो आने वाले समय में उसका भी यही हाल होगा और योग्य नेता मिलकर किसी तीसरे विकल्प का निर्माण करेंगे क्योंकि योग्य व्यक्ति एक सीमा से ज्यादा समय तक किसी अयोग्य व्यक्ति के नीचे काम नहीं करेगा | भाजपा को यह ध्यान रखना होगा कि एकतरफा माहौल देखकर वो कहीं अपने कदम न डगमगा ले और कहीं ऐसे नेताओं को बड़े पद देने न देने लगे जो कि विपक्ष के प्रचारक साबित हो जाएँ | ऐसे कुछ नेता भाजपा में भी कुछ बड़े पदों पर पहुँच चुके हैं लेकिन मोदी जी के नाम की वजह से फिलहाल जनता उनको अनदेखा कर देती है | लेकिन भाजपा को यह नहीं भूलना चाहिए कि मोदी जी इशारा कर चुके हैं कि वो २०२४ में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं होंगे, अब यदि भाजपा ने भी अयोग्य नेताओं को आगे और योग्य नेताओं को पीछे किया और विपक्ष अपनी गलतियों से सबक सीख कर अपनी रणनीति में आवश्यक बदलाव ले आया तो २०२४ में भाजपा को भी वही परेशानी हो सकती है जो कि फिलहाल २०१९ में विपक्ष के लिए है |

( फोटो साभार – DailyO )

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Varun Shrivastava
Varun Shrivastavahttp://www.sarthakchintan.com
He is a founder member and a writer in SarthakChintan.com.
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